निंदा नहीं !
Ashish Raichur
निंदा, चुगली, बदनामी, पीठ पीछे छूरा भोंपना, और अफवाह फैलाना आदि बातों में लोग व्यस्त हो जाते हैं यह न जानते हुए कि उनका व्यक्ति, समाज और कार्य परिवेश और अन्य सामाजिक रचनाओं पर कैसा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। छोटी बात कही जाने वाली निंदा से लोगों को चोट लगती है, समाज विभाजित हो जाते हैं, कार्य वातावरण शत्रूतापूर्ण और निरूपयोगी हो जाता है। निंदा वह जंगली घास है जिसे यदि जल्द ही हटा न दिया जाए, तो वह सुन्दर बगीचे को बर्बाद कर देती है। यह छोटी सी पुस्तक निंदा के विषय पर पवित्र शास्त्र की शिक्षा से हमें सावधान करती है, इस जीवनशैली से छुटकारा पाने हेतु हमारी सहायता करती है और निंदा से निपटने के कुछ व्यवहारिक चरण प्रस्तुत करती है। हमें आशा है कि यह पुस्तक किसी रीति से संस्थाओं को कार्यस्थल में स्वस्थ वातावरण, शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थियों के मध्य मित्रतापूर्ण एवं सहायक रिश्तों का पोषण करने में, और समाज के लोगों में एक दूसरे के प्रति प्रेम और परवाह का बोध उत्पन्न करने में सहायक हो। हम निंदा का अंत करें!
년:
2016
출판사:
All Peoples Church And World Outreach
페이지:
36
파일:
PDF, 421 KB
IPFS:
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2016